भारतीय विश्वविद्यालयों पर साइबर हमला: हर हफ्ते 8,487 हमले, छात्रों का डेटा डार्क वेब पर बिक्री पर

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को हर हफ्ते औसतन 8,487 साइबर हमलों का सामना करना पड़ रहा है। सीमित साइबर सुरक्षा के कारण छात्रों का डेटा डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। एआई आधारित फिशिंग और रैनसमवेयर हमलों से खतरा बढ़ा है।

भारतीय विश्वविद्यालयों पर साइबर हमलों की बाढ़: हर हफ्ते 8,487 हमले, छात्रों का डेटा डार्क वेब पर बिक रहा

भारतीय विश्वविद्यालयों पर साइबर हमला: हर हफ्ते 8,487 हमले, छात्रों का डेटा डार्क वेब पर बिक्री पर

भारतीय विश्वविद्यालयों पर साइबर हमला: हर हफ्ते 8,487 हमले, छात्रों का डेटा डार्क वेब पर बिक्री पर

नई दिल्ली. वह दौर अब बीत चुका है जब कॉलेजों की सुरक्षा का मतलब सिर्फ सीसीटीवी कैमरे और गार्ड हुआ करते थे। अब हमलों का मैदान डिजिटल हो गया है — और निशाने पर हैं देश की यूनिवर्सिटीज़। हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय शैक्षणिक संस्थान हर हफ्ते औसतन 8,487 साइबर हमलों का सामना कर रहे हैं, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुना है।

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शिक्षा क्षेत्र पर बढ़ता साइबर खतरा

Check Point Research (CPR) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले छह महीनों में भारत के शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों पर हमलों की संख्या 8,487 प्रति सप्ताह तक पहुंच चुकी है। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा औसतन 4,368 है। साइबर अपराधियों के लिए शिक्षा क्षेत्र अब सबसे आसान और फायदे वाला लक्ष्य बन गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, हाइब्रिड लर्निंग मॉडल, जुड़े हुए कैंपस और छात्रों के व्यक्तिगत उपकरणों के उपयोग ने डिजिटल खतरों का दायरा और बड़ा कर दिया है। सीमित बजट और साइबर सुरक्षा टीमों की कमी ने हालात को और गंभीर बना दिया है।

रैनसमवेयर ने रोकी क्लास और परीक्षा

साइबर हमलों के असर सिर्फ सिस्टम डाउन होने तक नहीं सीमित हैं। कई विश्वविद्यालयों और स्कूलों ने रैनसमवेयर हमलों के चलते परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं, मूल्यांकन में देरी हुई, और कुछ संस्थान हफ्तों तक ऑनलाइन सेवाएं बहाल नहीं कर सके। एक रिपोर्ट में बताया गया कि निचले शिक्षा संस्थानों के लिए औसत फिरौती राशि $6.6 million और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए $4.4 million रही। इसके बावजूद सिर्फ 30 प्रतिशत संस्थान ही एक सप्ताह में पूरी तरह रिकवर हो पाए।

डार्क वेब पर बिक रहे छात्र डेटा

इन हमलों के परिणाम और चिंताजनक हैं। रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों के ट्रांसक्रिप्ट, व्यक्तिगत विवरण और फर्जी सर्टिफिकेट तक डार्क वेब पर बेचे जा रहे हैं। अमेरिका के 157 साल पुराने Lincoln College को इसी तरह के रैनसमवेयर हमले के बाद स्थायी रूप से बंद करना पड़ा था।

एआई से और गहराएगा संकट

Check Point Research ने चेतावनी दी है कि एआई तकनीक साइबर हमलों को और घातक बना रही है। जुलाई 2025 में ही शिक्षा क्षेत्र से जुड़े 18,000 नए डोमेन दर्ज किए गए, जिनमें से हर 57वां डोमेन दुर्भावनापूर्ण था। इन साइट्स को एआई की मदद से इस तरह डिजाइन किया गया था कि वे असली परीक्षा या फी-भुगतान पोर्टल जैसी दिखें।

एआई अब डीपफेक आधारित फिशिंग, क्रेडेंशियल चोरी और स्मार्ट मालवेयर के जरिए चंद मिनटों में सुरक्षा दीवार तोड़ने में सक्षम हो गया है।

विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

Check Point Software Technologies के निदेशक सुंदर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि “भारत का शिक्षा क्षेत्र एआई-संचालित साइबर हमलों की बाढ़ का सामना कर रहा है, जो छात्रों की गोपनीय जानकारी चुराने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई को भी बाधित कर रहे हैं।”

उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों को ‘प्रिवेंशन-फर्स्ट’ रणनीति अपनाने की सलाह दी — जिसमें एआई आधारित सुरक्षा, क्लाउड प्रोटेक्शन और हाइब्रिड मेष सिक्योरिटी जैसे समाधान शामिल हैं।

जागरूकता और सुरक्षा प्रशिक्षण की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि संस्थानों को साइबर सुरक्षा को अब आईटी का हिस्सा नहीं, बल्कि शिक्षा के ढांचे की नींव मानना चाहिए। नियमित सुरक्षा पैच, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, फिशिंग अवेयरनेस और छात्रों-शिक्षकों के लिए साइबर प्रशिक्षण कार्यक्रम तुरंत लागू किए जाने चाहिए।

शिक्षा की सुरक्षा अब भविष्य की सुरक्षा

कक्षाएं चाहे स्मार्ट हों या ऑनलाइन, शिक्षा क्षेत्र की सुरक्षा सीधे भविष्य की सुरक्षा से जुड़ी है। एक बीमार सर्वर अब सिर्फ परीक्षा नहीं रोकता — वह देश के अकादमिक ताने-बाने को भी खतरे में डाल सकता है। इसलिए समय रहते डिजिटल ढाल मजबूत करना अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है।

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